मुख्य पूजा

काल सर्प दोष पूजा

कालसर्प दोष पूजा हिंदू ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो कालसर्प योग के दोष को दूर करने के लिए की जाती है। इस पूजा में केंद्रित ग्रहों की शांति के लिए मंत्र, हवन, पूजा, और दान किए जाते हैं। इसका उद्देश्य व्यक्ति को अस्त्रशास्त्री, भय, और संघर्षों से मुक्ति प्रदान करना होता है। कालसर्प दोष पूजा व्यक्ति के जीवन में स्थिरता, सफलता, और सुख को बढ़ाने में मदद करती है।

मंगल दोष पूजा

मंगल दोष पूजा हिंदू ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इसका उद्देश्य विवाह और पारिवारिक समृद्धि में आने वाली किसी भी अड़चन को दूर करना होता है। मंगल दोष पूजा मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए की जाती है। इसमें मंत्र, पूजा, हवन, और दान का अभ्यास किया जाता है। यह अनुष्ठान जातक की कुंडली के अनुसार किया जाता है

पितृ दोष पूजा

पितृ दोष पूजा हिंदू धर्म में पितृगणों की आत्मिक शांति और परिश्रम के लिए की जाती है। इस पूजा में पितृगणों के लिए हवन, दान और मंत्रों का जाप किया जाता है। यह दोष कुंडली में संक्रमित होता है और पितृगणों के क्रोध या असंतुष्टि का कारण बनता है। इस पूजा से पितृगणों की कृपा प्राप्त होती है और कर्मों के दोषों का निवारण होता है। इससे परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का अनुभव होता है।

पंडित जी की बारे में जानकारी

पंडित सुदीप गुरुजी

काल सरप पूजा विशेषज्ञ होने के नाते गुरुजी को 14 वर्षो का अनुभव कालसरप पूजा आयोजित करने में प्राप्त है, क्योंकि गुरुजी ने आज तक बहुत सारे शांति पूजा की सीमा पार कर दी है, और सभी (यज्ञ) शांति या पूजा विधि के बाद तुरन्त उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करते हैंं।

पंडित सुदीप गुरूजी की जन्म भूमि महाकाल की नगरी उज्जैन(अवंतिका)है।पंडित जी को बाल काल से ही पंडिताई एवं दोष निवारण पुजा मे रूचि थी।पंडित जी के पिताजी एवं दादाजी भी यही कर्म करते थे,ओर वो भी गृह रहस्य एवं दोष निवारण के वेदिक पद्धति का ज्ञान गुरूजी के पास सिद्धस्त है।जिसके फलस्वरूप आज गुरूजी तुरंत उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करते है ओर जो भी यजमान की बाधा ,कष्ट ,पीड़ा ,रोग ,दोष होते है ।गुरूजी कहते है कि जो यजमान पुजा कराने आये बिल्कूल,सच्चे मन से ,श्रद्धा से ,भाव से,पुजन करे तो ही उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त होगा नाकी तर्क-वितर्क करने से।

कालसर्प शांति करने से 9 विभिन्न प्रकार के सांपों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कालसर्प शांति पूजा के साथ राहु और केतु पूजा सफलता के द्वार खोलती है। नाग की सोने की मूर्ति की पूजा करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

उज्जैन में इसका महत्व इसलिए हे कि बाबा महाकाल के चरणों मे ओर शिप्रा मोक्षदायिनी के अंगारेश्वर मंदिर पर निवारण होता है।

पितृदोष की पूजा पूरी विधि विधान से साथ उज्जैन मे करवाए।उज्जैन में पितृदोष पूजा करने से सभी दोषो का निवारण हो जाता है।

हम पंडित सुदीप शाश्त्री उज्जैन में कालसर्प योग का ओर सभी प्रकार की पूजा का वैदिक पद्ति द्वारा निवारण करते है ओर जीवन मे आने वाली सभी समस्याओं का निवारण ईस्ट देव बाबा बड़ली भैरव एवं माँ बगलामुखी की असीम कृपा से करते है|

शासकीय संस्कृत महाविधायल से उपाधि प्राप्त पंडित सुदीप गुरुजी से आज अपनी कुंडली दिखाये ओर कालसर्प दोष के बारे मे अधिक जाने व उसका निवारण पूरे विधि विधान से उज्जैन मे करवाए, अपनी पूजा के लिए कॉल करे +919111028554 पर ।

हमारी सेवाए

महामृत्युंजय जाप

महामृत्युंजय जाप हिंदी में एक प्राचीन मंत्र है जो भगवान शिव को समर्पित है। इसे अनुष्ठान, ध्यान या जप के रूप में किया जा सकता है। यह मंत्र मृत्युंजय राखने और जीवन को भगवान शिव की कृपा से आशीर्वादित करने के लिए प्रसिद्ध है। इस मंत्र का अर्थ है "जो महामृत्यु को जीतता है"। मंत्र का जाप करने से मान्यता है कि यह व्यक्ति को रोग, अपशकुन और मृत्यु के भय से मुक्त कर सकता है। महामृत्युंजय जाप को नियमित रूप से करने से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शांति प्राप्त होती है।

अर्क/कुंभ विवाह

अर्क विवाह या कुंभ विवाह हिंदू धर्म में एक प्राचीन पद्धति है जिसमें एक व्यक्ति की दो बार से अधिक विवाह होते हैं, लेकिन दोनों पति या पत्नी एक ही व्यक्ति से होते हैं। इस पद्धति के अनुसार, जब पति या पत्नी की मृत्यु होती है, तो उनका उनके अगले जीवन में एक और विवाह होता है, लेकिन वह पुराने विवाह से बिल्कुल अलग होता है। यह पद्धति विशेष रूप से क्षेत्रों जैसे उत्तर भारत में प्रचलित है और कुंभ मेला जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक और धार्मिक आयोजनों में प्रयोग किया जाता है।

नव ग्रह शांति

नवग्रह शांति हिंदू ज्योतिष और धार्मिक प्रथाओं में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इसका उद्देश्य नौ ग्रहों के द्वारा संभव बुरे प्रभावों को दूर करना होता है। नवग्रह शांति में विशेष मंत्र, पूजा, हवन, दान, और तांत्रिक क्रियाएँ शामिल होती हैं। यह शांति अनुष्ठान जातक के कुंडली के अनुसार विशेष ग्रहों के लिए किया जाता है। नवग्रहों के संतुलन में बदलाव के लिए यह अनुष्ठान विशेष रूप से मंगलिक, शनि, राहु और केतु के प्रभाव को कम करने के लिए किया जाता है। इससे जीवन में संतुलन और शांति का अनुभव होता है।

रुद्राभिषेक पूजा

रुद्राभिषेक पूजा हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना का एक महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित अनुष्ठान है। इस पूजा में पंचामृत और धारा गंगा जल से भगवान शिव की मूर्ति को स्नान किया जाता है। इसके बाद, धनिया, अक्षता, धूप, दीप, बेलपत्र, धातु के कलश और मूली के पत्ते से पूजा की जाती है। रुद्राभिषेक पूजा में मंत्रों का उच्चारण किया जाता है जो भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने में सहायक होते हैं। यह पूजा भक्तों को शांति, समृद्धि और आनंद प्रदान करती है।

शनि पूजा

शनि पूजा हिंदू धर्म में भगवान शनि की प्राप्ति, क्षमा और आशीर्वाद के लिए किया जाता है। यह पूजा शनिवार को सम्पन्न की जाती है और इसे नियमित रूप से करने से भगवान शनि की क्रोधित दशा से रक्षा होती है। पूजा के दौरान, भगवान शनि की मूर्ति को दीप, अगरबत्ती, उपहार और पुष्पांजलि सहित अन्य प्रसादों के साथ पूजा की जाती है। जो दुर्भाग्य और कष्टों को दूर करने में सहायक होते हैं। इस पूजा का पालन करने से व्यक्ति को धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ मिलता है।

वास्तु शास्त्र

रुद्राभिषेक पूजा हिंदू धर्म में एक प्रमुख आध्यात्मिक अनुष्ठान है, जिसमें भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस पूजा में शिवलिंग को पानी, दूध, गंगाजल, धनिया पत्ता, धान्य, घी, दही, शहद, तिल, गन्ध आदि से स्नान किया जाता है। फिर मंत्रों के जाप के साथ शिवलिंग पर गंगाजल, धारा, धूप, दीप, बेलपत्र, पुष्प, फल, नैवेद्य आदि चढ़ावा किया जाता है। यह पूजा शिव की कृपा, शक्ति और समृद्धि को प्राप्त करने के लिए की जाती है।

पंडित सुदीप गुरूजी दुवारा कि गई सभी पुजाये अर्थात कालसर्प दोष पूजा,मंगल भात पूजा,पितृ दोष पूजा,महामृत्युंजय जाप,अर्क/कुंभ विवाह,नव ग्रह शांति,बगलामुखी माता पुजा एवं विशेष संतान प्राप्ति का उत्कृष्ट परिणाम तुरंत प्राप्त होता है।